मध्यप्रदेश शासन (कैबिनेट द्वारा 27 नवंबर 2019 कोप्रस्तावित व पारित) द्वाराभू-राजस्वसंहिता 1959 मेंसंषोधन ( प्रस्तावित) करआदिवासी क्षेत्रोंमेंसामान्य व्यक्तिकोजमीन के डायवर्सन के अधिकार को अबिलंब निरस्त करने की मॉग-पत्र के साथ जल-जंगल-जमीन व जीवन बचाओ साझा मंच का एक प्रतिनिधि मण्डल महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन से भेंट कर अपना बिरोध दर्ज करवाया। 08 सदस्यों के प्रतिनिधि मण्डल के साथी गुलजार सिंह मरकाम,फूल सिंह सिमरिया,व दुर्गावती उइके ने बताया कि 27 नवंबर 2019 को मध्य प्रदेष के बिनेट द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में भूमि के डाइवर्सन का प्रस्ताव आने के उपरांत सम्पूर्ण आदिवासी क्षेत्र न केवल अपने अस्तित्व व अधिकारों को लेकर चिंतित ही नही बल्कि संवेदन सील भी है।आपने कहा की 17 नवंबर 2019 को जल-जंगल-जमीन व जीवन बचाओ साझा मंच के संयोजन में मध्यप्रदेष के आदिवासी समाज ने आदिवासी हंुकार सम्मेलन भोपाल में आयोजित कर अपने अधिकारों की बात विभिन्न राजनीतिक दलांे सहित सरकार को साझा की थी, जिसमंे मध्यप्रदेष शासन के विभिन्न मंत्रियों सहित आदिवासी विधायक व सांसद/केन्द्रीय मंत्री भी शामिल हुए, और सबने एक स्वर में आदिवासी अधिकारों के सरंक्षण की बात की थी! विगत 10 दिनों में आदिवासियों को उनके अधिकारों-जमीन से अलग-थलग करने की योजना बनाई जा रही हेै, इससे निश्चित ही आदिवासी आक्रोशित भी है जो कि आदोंलनात्मक रूप भी ले सकता है। आपने बताया कि पांचवीं अनुसूची व पेसा क्षेत्र और वनाधिकार कानून के मुद्दे पर भी बात हुई। हमने राज्यपाल महोदय को इस संवंध में एक ज्ञापन साैंपा जिसे आपने सहर्स स्वीकार किया।
आपने बताया कि महामहिम ने हमारी बातो को गंम्भीरता से सुना और समझा महामहिम ने कहा कि मै आदिवासी मुद्दों पर गंभीर हूॅ। पॉचवीं अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम का संचालन संवैधानिक नही है। इस पर महामहिम राज्यपाल महोदय ने समझ कर हस्तक्षेप करने का आश्वासन दिया। मध्यप्रदेश के समस्त आदिवासी संगठनो के साथ मुद्दे पर बैठक हो एक बिचार मंथन हो मुझे बुलाये तो मैं जरूर आऊॅगा, सुनूगा और कार्यवाही भी करूॅगा।
पॉचवी अनुसूची के अंतर्गत आनेवाले क्षेत्रों में नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम का संचालन संवैधानिक नही है इस पर महामहिम राज्यपाल महोदय ने समझ कर हस्ताछेप करने का आश्वासन दिया।